योनि मुद्रा योग का चमत्कार
योनि मुद्रा योग। हस्त मुद्राएं कई प्रकार की होती है और उन सबके अलग अलग स्वास्थ्य लाभ हैं। यौगिक दृष्टि योग मुद्राओं में योनि मुद्रा को भी खास महत्व मिला हुआ है। हालांकि तंत्रशास्त्र में इसका अलग महत्व...
View Articleचित्त मुद्रा योग, ध्यान के लिए उपयोगी
चित्त के तीन अर्थ है उल्टा, मनस और निश्चय। इस मुद्रा को बनाने के बाद हथेलियों को उल्टा भूमि की ओर कर देते हैं। यह मन को काबू में करने वाली मुद्रा है इसीलिए इसे चित्त हस्त मुद्रा योग कहते हैं।
View Articleगंजेपन का इलाज माण्डुकी मुद्रा
यदि आपके बाल झड़ रहे हैं या सफेद हो रहे हैं तो यह मुद्रा आपके लिए है। गंजेपन से निजात पाने के लिए योग शास्त्र में माण्डु की मुद्रा को सबसे श्रेष्ठ उपाय बताया गया है। इसका लगातार अभ्यास करने से बाल...
View Articleपान मुद्रा दूर करे आधे सिर का दर्द
इस हस्तमुद्रा को करते समय हाथों की आकृति पान (betel leaf) के समान बन जाती है इसीलिए इसे पान मुद्रा कहते हैं।
View Articleबुढ़ापे को दूर भगाएं, पंच धारणा मुद्रा अपनाएं
पंच धारणा का अर्थ है पांच तरह की धारणा। योग में इन पांच धारणाओं का बहुत ही महत्व बताया गया है। इन धारणाओं को सिद्ध करने के लिए ध्यान का अभ्यास करना जरूरी है। इनके सिद्ध हो जाने से सभी कार्य सिद्ध होने...
View Articleतीसरी आंख खोले- शक्ति पान मुद्रा योग
योग दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धर्म है। यदि योग अनुसार जीवन शैली ढाली जाए तो कुछ भी संभव हो सकता है। योग का एक अंग हस्तमुद्रा योग है जो योग की सबसे सरलतम विद्या है। यहां प्रस्तुत है शक्तिपान मुद्रा की विधि...
View Articleबंध- मुद्रा की संपूर्ण जानकारी, महत्व और लाभ
घेरंड ने 25 मुद्राओं एवं बंध का उपदेश दिया है और भी अनेक मुद्राओं का उल्लेख अन्य ग्रंथों में मिलता है। मुद्राओं के अभ्यास से गंभीर से गंभीर रोग भी समाप्त हो सकता है। मुद्राओं से सभी तरह के रोग और शोक...
View Articleखेचरी मुद्रा से मिलती है समाधि और सिद्धि
मनुष्य की जीभ (जिह्वा) दो तरह की होती हैं- लंबी और छोटी। लंबी जीभ को सर्पजिह्वा कहते हैं। कुछ लोगों की जीभ लंबी होने से वे उसे आसानी से नासिकाग्र पर लगा सकते हैं और खेचरी-मुद्रा कर सकते हैं। मगर जिसकी...
View Articleयम हरिमुद्रा से दूर होगी कमजोरी
मुद्राओं के अभ्यास से गंभीर से गंभीर रोग भी समाप्त हो सकता है। मुद्राओं से सभी तरह के रोग और शोक मिटकर जीवन में शांति मिलती है। हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख कर उनके अभ्यास पर जोर दिया गया है।
View Articleमहाबंध से बनें महायोगी
बंध का शाब्दिक अर्थ है- 'गांठ', बंधन या ताला। इसके अभ्यास से प्राणों को शरीर के किसी एक भाग पर बांधा जाता है। इसके अभ्यास से योगी प्राणों को नियंत्रित कर सफलता पूर्वक कुंडलिनी जाग्रत करता है।
View Articleजानिए पृथ्वी मुद्रा तथा उसके लाभ
मुद्राओं में पृथ्वी मुद्रा का बहुत महत्व है। यह हमारे भीतर के पृथ्वी तत्व को जागृत करती है। योगियों ने मनुष्य के शरीर में दो मुख्य नाड़ियां बतलाई हैं। एक सूर्य नाड़ी और दूसरी चन्द्र नाड़ी।
View Articleबाधी योग क्रिया है पेट के लिए सबसे लाभदायक
वर्तमान युग में खान-पान के प्रति लोग सजग नहीं रहते हैं जिसके चलते वे कई तरह के पेट संबंधी रोग और कई गंभीर रोग से भी पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती तक हो जाते हैं। हजारों लोग हैं और हजारों तरह के रोग...
View Articleखुली आंखों से कैसे ले सकते हैं नींद, जानिए...
खुली आंखों से कैसे नींद ले सकते हैं यह तो बहुत ही आश्चर्य वाली बात है। आपने अक्सर देख या सुना होगा कि नींद में चलने वालों की आंखों खुली होते है लेकिन वे सोए रहते हैं। खुली आंखों से वे देखते भी रहते हैं...
View Articleजानें योग मुद्राओं को
योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध, क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है।
View Articleज्ञान बढ़ाए ज्ञानमुद्रा
ज्ञान क्या है? अष्टावक्र ने जनक से कहा कि जो-जो अज्ञान है उसे जान लेना ही ज्ञान है। अधिकतर लोगों को यही नहीं मालूम होता है कि उनके कृत्य, विचार या दिनचर्या कितनी अव्यवस्थित या अज्ञानपूर्ण है। अर्थात...
View Articleपृथ्वी मुद्रा
मुद्राओं में पृथ्वी मुद्रा का बहुत महत्व है। यह हमारे भीतर के पृथ्वी तत्व को जागृत करती है। योगियों ने मनुष्य के शरीर में दो मुख्य नाड़ियाँ बतलाई हैं। एक सूर्यनाड़ी और दूसरी चन्द्र नाड़ी।
View Articleवरुण और वायु मुद्रा
हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है। शरीर में जल और वायु तत्व का संतुलन बिगड़ने से वात और कफ संबंधी रोग होते हैं। इन रोगों की रोकथाम के लिए ही योग में कई मुद्राओं के महत्व को बताया गया है। यहाँ...
View Articleस्त्रियों के लिए हस्तपात मुद्रा योग
योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध, क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है।
View Articleअश्विनी मुद्रा योग
गुदाद्वारा को बार-बार सिकोड़ने और फैलाने की क्रिया को ही अश्विनी मुद्रा कहते हैं। अश्विनी मुद्रा इतनी आसान है कि इसको करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।
View Articleआकाश मुद्रा योग करने से मिलेंगे सेहत के 14 फायदे
मुद्रा और दूसरे योगासनों के बारे में बताने वाला सबसे पुराना ग्रंथ घेरण्ड संहिता है। हठयोग के इस ग्रंथ को महर्षि घेरण्ड ने लिखा था। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है,...
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